गन्ने की फसल में कब और कौनसा खाद डालें..होगा भयानक फुटाव ; गन्ने की फसल में अधिक उपज (100 टन से 140 टन प्रति एकड़) प्राप्त करने के लिए सही समय पर और सही मात्रा में उर्वरक डालना अत्यंत आवश्यक है, जैसा कि महाराष्ट्र के किसान करते हैं। विशेषज्ञ डॉ. अंकुश जालिंदर चोरमले के अनुसार, रासायनिक खाद का कोई निश्चित शेड्यूल तय नहीं होता है। उनका मुख्य संदेश यह है कि खाद की मात्रा और समय पूरी तरह से फसल की विकास अवस्था (Growth Stage) और विशेष रूप से आपकी मिट्टी की जरूरत पर आधारित होना चाहिए। इसलिए, किसी भी शेड्यूल को अपनाने से पहले, किसान भाइयों को हमेशा अपनी मिट्टी का परीक्षण (Soil Testing) कराकर ही खाद प्रबंधन की योजना बनानी चाहिए, ताकि रासायनिक खाद का अधिकतम लाभ मिल सके।
उर्वरक का उपयोग हमेशा गन्ने की विकास अवस्था के अनुसार किया जाना चाहिए। वीडियो में एक प्रतिनिधि शेड्यूल सुझाया गया है जिसके अनुसार गन्ने की अच्छी ग्रोथ के लिए पूरे फसल चक्र में पाँच बार खाद डालना चाहिए: पहला डोज रोपाई के 12 दिन के भीतर दिया जाता है, जो जड़ विकास और पौधे की स्थापना के लिए महत्वपूर्ण है।
दूसरा डोज 30 से 40 दिन के बाद दिया जाता है, जब फुटान (Tillering) शुरू होती है, इस समय नाइट्रोजन की मात्रा बढ़ाना जरूरी है। इसके बाद, तीसरा डोज 60 दिन पर (जब मदर शूट निकाली जाती है), चौथा डोज 80 से 100 दिन के बीच हल्की मिट्टी चढ़ाते समय, और पाँचवाँ व अंतिम डोज 100 से 130 दिन पर मुख्य मिट्टी चढ़ाते (Final Earthing Up) समय देना चाहिए।
उर्वरक डालने का तरीका भी महत्वपूर्ण है। खाद को कभी भी खेत में फेंककर (broadcast) नहीं डालना चाहिए, बल्कि इसे गन्ने की जड़ के पास डालकर उस पर मिट्टी चढ़ा देना चाहिए। अगर आपके पास ड्रिप सिंचाई की सुविधा है, तो उसका उपयोग करना सबसे बेहतर है। यदि ड्रिप नहीं है, तो खाद को गन्ने की लाइन में दोनों तरफ डालकर थोड़ी-थोड़ी मिट्टी से ढक दें।
यह सुनिश्चित करता है कि रासायनिक खाद का अपटेक (अवशोषण) अच्छी तरह से हो और फसल को पूरा पोषण मिल सके, जिससे पैदावार में सुधार होता है। डॉ. चोरमले सलाह देते हैं कि किसान किसी भी तयशुदा शेड्यूल का अंधाधुंध पालन न करें और केवल अपनी खेती की जरूरतों को समझकर ही समझदारी से उर्वरक का प्रयोग करें।








