स्काइमेट वेदर अपडेट : वेस्टर्न डिस्टरबेंस से बदलेगा मौसम… यहाँ बारीश तो यहाँ ठंड
स्काइमेट वेदर अपडेट : वेस्टर्न डिस्टरबेंस से बदलेगा मौसम… यहाँ बारीश तो यहाँ ठंड
Read More
कापूस दरात मोठी घसरण की तेजी? आयात वाढल्याने बाजारातील चित्र बदलणार; शेतकऱ्यांची चिंता वाढली
कापूस दरात मोठी घसरण की तेजी? आयात वाढल्याने बाजारातील चित्र बदलणार; शेतकऱ्यांची चिंता वाढली
Read More
पीएम किसान योजना: यह काम करें तभी मिलेगी अगली किस्त, वरना हमेशा के लिए होगी
पीएम किसान योजना: यह काम करें तभी मिलेगी अगली किस्त, वरना हमेशा के लिए होगी
Read More
पैन कार्ड को आधार से लिंक करने की आसान और पूरी प्रक्रिया
पैन कार्ड को आधार से लिंक करने की आसान और पूरी प्रक्रिया
Read More
मानसून 2026 का पूर्वानुमान: अल नीनो का संभावित खतरा
मानसून 2026 का पूर्वानुमान: अल नीनो का संभावित खतरा
Read More

गेहुं के लिए 4 टाँप खनपतवार नाशक ; एक स्प्रे मे जड से खतम

गेहुं के लिए 4 टाँप खनपतवार नाशक ; एक स्प्रे मे जड से खतम ; गेहूं की फसल में खरपतवार एक बड़ी समस्या है, जो पैदावार को काफी कम कर सकते हैं। मुख्य रूप से खरपतवार दो प्रकार के होते हैं: चौड़ी पत्ती वाले (जैसे बथुआ, सरसों, भांग, पालक घास और गाजर घास) और संकरी पत्ती वाले (जैसे जंगली जई और गुली डंडा)। इन पर नियंत्रण पाने के लिए समय पर सही खरपतवार नाशक का चुनाव करना बहुत जरूरी है।

चौड़ी पत्ती वाले खरपतवारों के लिए ‘मेट सल्फ्यूरोन मिथाइल 20%’ (जैसे एफएमसी का अलग्रीब) काफी प्रभावी है। इसकी सामान्य खुराक 8 ग्राम प्रति एकड़ होती है, लेकिन जिद्दी खरपतवारों के लिए इसे 12 ग्राम तक बढ़ाया जा सकता है। इसके अलावा, ‘2,4-D 58%’ का प्रयोग भी किया जा सकता है, खासकर गाजर घास जैसे मुश्किल खरपतवारों के लिए। गाजर घास को पूरी तरह खत्म करने के लिए 8 ग्राम मेट सल्फ्यूरोन के साथ 300 मिलीलीटर 2,4-D मिलाकर स्प्रे करना सबसे अच्छा रहता है।

संकरी पत्ती वाले खरपतवारों, जैसे जंगली जई और गुली डंडा के लिए ‘क्लोडिनाफोप प्रोपरजिल 15%’ (जैसे सिंजेंटा का टॉपिक) एक लोकप्रिय विकल्प है। जंगली जई पर इसके परिणाम बहुत अच्छे मिलते हैं। इसके अतिरिक्त, ‘पायरोक्सा सल्फोन 85%’ (जैसे अवकीरा) का प्रयोग बिजाई के समय या पहले पानी से दो दिन पहले किया जा सकता है, जो गुली डंडा पर बेहतरीन नियंत्रण प्रदान करता है।

खरपतवार नाशकों का इस्तेमाल करते समय कुछ विशेष सावधानियां रखनी चाहिए। हमेशा पहले पानी के तुरंत बाद गीले खेत में स्प्रे करना चाहिए, क्योंकि नमी होने पर ही दवा 100% काम करती है। सूखे खेत में स्प्रे करने से परिणाम कम मिलते हैं। साथ ही, खरपतवार जब छोटे हों तभी स्प्रे कर देना चाहिए, क्योंकि पौधे बड़े होने पर उन पर दवा का असर कम होता है और गेहूं की फसल की बढ़वार पर भी बुरा असर पड़ सकता है।

Leave a Comment