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अधिक मास 2026: क्यों 12 की जगह 13 महीने का होगा नया साल..दुर्लभ योग

अधिक मास 2026: क्यों 12 की जगह 13 महीने का होगा नया साल..दुर्लभ योग ; जहाँ अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार जल्द ही नया साल 2026 शुरू होने वाला है, वहीं हिंदी कैलेंडर के विक्रम संवत 2082 के अनुसार आने वाला यह वर्ष 12 की बजाय 13 महीनों का होगा। यह अतिरिक्त महीना ‘अधिक मास’ या ‘मलमास’ कहलाता है, और यह एक ऐसी ज्योतिषीय घटना है जिसके कारण साल में पूरे 30 दिन जुड़ जाते हैं।

2026 में, ज्येष्ठ (Jyeshtha) महीना 30 दिनों का न होकर लगभग 59 दिनों का होगा, जिसका अर्थ है कि यह लगभग पूरे दो माह तक चलेगा।

अधिक मास दरअसल सौर वर्ष (Solar Year) और चंद्र वर्ष (Lunar Year) के समय में संतुलन बनाए रखने के लिए होता है। ज्योतिष के अनुसार, सौर वर्ष लगभग 365 दिनों का होता है, जबकि चंद्र वर्ष 354 दिनों का होता है। इस अंतर के कारण हर वर्ष लगभग 11 दिनों का गैप आ जाता है। त्यौहारों और तिथियों में इस असंतुलन को रोकने के लिए, हर 32 महीने और 16 दिन में एक अतिरिक्त चंद्रमास को पंचांग में जोड़ा जाता है। इसी प्रक्रिया से सूर्य और चंद्रमा के समय में संतुलन बना रहता है, और अधिक मास का निर्माण होता है।

साल 2026 में, यह अधिक मास 17 मई से शुरू होकर 15 जून तक रहेगा। यह पवित्र महीना भगवान विष्णु को समर्पित है और इसीलिए इसे ‘पुरुषोत्तम मास’ भी कहा जाता है, जिसका अर्थ है सबसे श्रेष्ठ और सर्वाधिक पवित्र महीना। इस दौरान दान-पुण्य करना, पूजा-पाठ, व्रत और मंत्रों का जप करना अत्यंत शुभ और लाभकारी माना जाता है। हालाँकि, धार्मिक महत्व होने के बावजूद इस पूरे महीने में कोई भी शुभ या मांगलिक कार्य, जैसे कि विवाह या गृहप्रवेश, नहीं किए जाते हैं।

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